My expression in words and photography

बुधवार, 8 दिसंबर 2010

आतंकवाद

आतंक
इसका चेहरा बड़ा भयानक
जैसे हो कोई खलनायक
दुनिया भर में इस का जाल
कई देशों में इनकी ढाल.

आतंकवाद की कोई न सीमा
सब का चैन है इसने छीना
इसने कितनों के घर जलाए
आई मुसीबत बिना बुलाए.

हवाई जहाज़ अपहरण कराए
मासूमों के सपने चुराए
इसका नहीं कोई भी मजहब
आतंक फैलाना इसका मकसद.

सब मिलकर आवाज उठाएँ
दुनिया भर से इसे मिटाएँ
जब कोई संरक्षक न होगा
तब कैसे ये भक्षक होगा ?

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