My expression in words and photography

रविवार, 4 जुलाई 2010

हिन्दयुग्म.कॉम का अनूठा प्रयास

उम्र के इस मुकाम पर बहुत कुछ कहने को मन करता है। अगर कोई शख्श शतायु होने की सोच रखता हो तो समझो उस की आधी उम्र तो ऐसे ही कट गई। आखिर क्या वजह हो सकती है इतनी देर से शुरुआत करने की? सूचना प्रोद्योगिकी के इस दौर में अगर आपने अपनी बात दूसरों के आगे रखने के लिए इन्टरनेट को माध्यम नहीं बनाया तो फिर इसका कोई फायदा नहीं होगा। मैंने आज ही हिन्दयुग्म.कॉम के सौजन्य से नई पहल की है जो काफी सार्थक एवं सुखद प्रतीत हो रही है। मानो मेरी कल्पना को नए पर लग गए हों! मन ऊंची उडान पर जाने की सोच रहा है। खुद को अति उत्साहित अनुभव कर रहा हूँ मैं। ये ऊर्जा स्वयं में पहले से विद्यमान तो थी परन्तु ज़ाहिर करने का कोई तरीका नहीं था। मैं शुक्रगुजार हूँ हिन्दयुग्म का जो हम सब की जुबान को अपनी बोली में तब्दील करने की लम्बी कवायद में लगे हैं। मैं ऐसे तमाम लोगों को अपनी शुभ कामना देना चाहता हूँ जो इस पुनीत कार्य में अपने अपने तरीके से आहुति दे रहे हैं। न जाने कितने लोग हैं जो अपनी बात इन्टरनेट से कई लोगों तक पहुँचाना तो चाहते हैं मगर अंग्रेजी की कम जानकारी के चलते स्वयं को अक्षम पते हैं। हमारी अपनी बोली में कितनी लज्ज़त है, इसका अंदाज़ा तो आप हिंदी यानि अपनी ज़बान में ब्लॉग पढ़ कर ही लगा सकते है। अगर आप से कोई अंग्रेजी में हंसाने को कहे तो आपको कैसा लगे गा? हंसना, हँसाना, रोना, विस्मय करना और सब तरह की अनुभूतियाँ हम अपनी बोली के ज़रिये ही चेहरे तक ला सकते हैं। हमारी विचार धरा भी अपनी बोली से ही जुड़ी है। हम अंग्रेजी पढ़ कर हिंदी में सृजन करने की नहीं सोच सकते। अपनी बोली में जो लज्ज़त है सो कहीं भी नहीं। आप दुनिया की अन्य ज़ुबाने सीख सकते हैं और बोल भी सकते हैं मगर जो आनंद अपनी बोली में अपनी बात रखने का है वह अन्यत्र दुर्लभ है। इस ब्लॉग के माध्यम से में आप से अनुरोध करता हूँ के आप भी एक बार हिंदी लिख कर व बोल कर देखें कितना सुख मिलता है? बहुत कुछ कहने को मन है परन्तु आज के लिए इतना ही। हिन्दयुग्म.कॉम को मेरा एकबार फिर साधुवाद एवं धन्यवाद्।