माया
माया ने ऐसा भरमाया
आँख खुली तो समझ में आया
कौन है अपना कौन पराया
माया ने ऐसा भरमाया.
अपने घर में भी थी रोटी
अच्छी लगती थी ऊँची कोठी
लालच ने तब जोर लगाया
और हम से स्वदेश छुडाया.
माया ने ऐसा भरमाया
आँख खुली तो समझ में आया
कौन है अपना कौन पराया.
धन दौलत अब राज करेगा
कल ना किया सो आज करेगा
इसने अपनों से दूर कराया
कुछ ऐसा भ्रम-जाल फैलाया.
माया ने ऐसा भरमाया
आँख खुली तो समझ में आया
कौन है अपना कौन पराया.
स्वार्थ में इसने अंधा बनाया
अंतर्मन से लज्जित करवाया
इसने हमको कपट सिखाया
मित्रों ने फिर दगाबाज़ बताया.
माया ने ऐसा भरमाया
आँख खुली तो समझ में आया
कौन है अपना कौन पराया.
माया महाठगिनी हम जानी
पर हम ने की थी मनमानी
इसी को अपना मीत बनाया
जो चाहा सो करके दिखाया.
माया ने ऐसा भरमाया
आँख खुली तो समझ में आया
कौन है अपना कौन पराया.
माया ने ऐसा भरमाया.
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