My expression in words and photography

बुधवार, 28 मई 2014

भिखारी - एक लघु कथा

लेखक- अश्विनी कुमार रॉय
गाड़ी अभी स्टेशन से छूटने ही वाली थी. जब सब लोग इसमें अपना सामान चढ़ा रहे थे, तो एक नौजवान लड़का अपने बाएँ हाथ से भीख माँगता हुआ वहाँ आया. सभी यात्री उस जवान लड़के का एक हाथ देख कर स्तब्ध थे. एक ने कहा कि ईश्वर भी न जाने कैसे-कैसे इम्तिहान लेता है! लड़का अभी जवान है और इसने अपनी दाईं भुजा गंवा दी है. न जाने यह अपनी जिंदगी की गुजर-बसर कैसे कर पाएगा?

जिस यात्री से जो भी बन पड़ा, उसे दिया. देखते ही देखते उसके पास बहुत से पांच और दस रूपए के नोट इकट्ठे हो गए. इतने में गाड़ी ने सीटी बजाई और वह लड़का नीचे कूद गया. गाड़ी से उतरते ही उसने अपनी कमीज़ से दाईं भुजा बाहर निकाली और रूपए गिनने लगा. उस लड़के पर दया करके भीख देने वाले सभी यात्री खिडकी से बाहर झांकते हुए स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे थे.

बाज़ार में उपलब्ध खतरनाक पेय उत्पाद


कोका-कोला मानव चयापचय अथवा 'मेटाबोलिज्म' के लिए एक खतरनाक ज़हर की तरह है. इसकी एसिडिटी का स्तर बैटरी में मिलने वाले तेज़ाब के आसपास है. यह कई घरेलू क्लीनरों की तरह सफाई करने के काम में प्रयुक्त किया जा सकता है. तीसरी दुनिया के देशों में इस तरह के पेय पदार्थ शुद्ध पेय जल की तुलना में आसानी से उपलब्ध हैं. इस कोल्ड ड्रिंक को पीने वाले लोगों में ह्रदय एवं श्वास रोग होने की संभावना बहुत अधिक होती है. 

कार्बोराइज्ड ड्रिंक पीने से हड्डियों से केल्शियम की हानि होती है. आप इस कमी को दूर करने के लिए सब्जियां, फल या दूध तो ले सकते हैं परन्तु केल्शियम अवशोषण के लिए केवल इसके स्त्रोत ही पर्याप्त नहीं होते! यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिकतर लोग इस प्रकार के पेय पदार्थों के सेवन करने में अपनी शान समझते हैं. यह सब अशिक्षा एवं अज्ञानता के कारण हो रहा है. हमारी सरकार द्वारा ऐसे हानिकारक पेय पदार्थों पर अविलम्ब प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए.

मानव संसाधन मंत्री के स्नातक न होने पर सवाल


कांग्रेस के एक छुटभइया नेता ने एक अटपटा बयान जारी करके एन. डी. ए. के शिक्षा मंत्री की योग्यता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि वे स्नातक भी नहीं हैं. यह अत्यंत खेद का विषय है कि देश का शीर्ष राजनैतिक दल अपनी करारी हार के बाद शालीनता की सारी सीमाएं लांघ चुका है और उसके पास कहने को शायद कुछ बचा ही नहीं है. विचारणीय है कि अगर आप अपनी टांग से कपड़ा ऊपर उठाते हैं तो स्वयं ही नंगे हो जाते हो. इन्हें यह सवाल उठाने से पहले यह बताना चाहिए था कि प्रधानमंत्री बनने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए? क्या स्नातक व्यक्ति ही शिक्षा मंत्री या प्रधानमंत्री हो सकते हैं? अगर हाँ, तो स्नातक मंत्रियों के होते हुए हमारा शिक्षा का स्तर जस का तस क्यों है?
भूतपूर्व प्रधानमंत्री तो बहुत बड़े आर्थिक विशेषज्ञ थे फिर भारत अपनी विकास दर में कैसे पिछड़ गया? इस शीर्ष दल को बताना होगा कि उनकी तथाकथित राजनीति “नीच राजनीति”  से कैसे भिन्न है जिसका उल्लेख इन्होने चुनाव प्रचार के दौरान किया था? अगर जनता को स्नातक मंत्रियों की आवश्यकता थी तो जनता ने उन्हें क्यों नकार दिया? ज़ाहिर है कांग्रेस के पास इस विषय में अधिक कहने के लिए कुछ भी नहीं है. यह तो खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचने वाली बात ही लगती है. देश के सबसे पुराना दल होने का दावा ठोकने वाली पार्टी को अपना इतिहास पढ़ने की आवश्यकता है. उन्हें देखना चाहिए कि आज तक जिन लोगों को उनहोंने मंत्री, प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बनाया है, उनकी क्या-क्या योग्यता थी? शायद अपने गिरेबान में झाँकने पर ही इन्हें कोई बात समझ में आ पाएगी.