My expression in words and photography

रविवार, 1 सितंबर 2013

गज़ल


करते नहीं अब लोग आइना-लुक
जब से यहाँ आ गई है फेसबुक!
सब मसरूफ हो गए हैं आजकल
इस तरह अब छा गई है फेसबुक.
पीरों-जवां पे कर दिया जादू इसने
इक ऐसा मुकाम पा गई है फेसबुक.
दिन को आराम है न चैन रात में
लोगों को ऐसे भा गई है फेसबुक.
घर-बाहर की किसी को फिक्र नहीं

सबको दीवाना बना गई है फेसबुक.-अश्विनी रॉय सहर

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