My expression in words and photography

सोमवार, 23 सितंबर 2013

मेरी ख्वाहिश

मेरी हर सांस में हो गुम
जिंदगी की हर धडकन में हो तुम
जीने की हर वजह हो तुम
फिर क्यों भटक रहा हूँ
मैं तेरी तलाश में
जानता हूँ ये कि
तुम कहीं आस-पास हो
न जाने किस बात पर
मुझसे नाराज़ हो
आ जाओ अब तो सामने
कहीं इतनी न देर हो
तुम हो करीब मेरे
और मैं ही न रहूँ!

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