My expression in words and photography

शनिवार, 7 सितंबर 2013

मनुष्य झूठ क्यों बोलता है?

कुछ लोग झूठ इसलिए बोलते हैं कि उन्हें ऐसा करने में शायद कुछ मज़ा आता है. परन्तु इस प्रकार झूठ बोलने वाले लोग शायद अपरिपक्वता के कारण ही ऐसा करते हैं. इसमें उनका कोई स्वार्थ नहीं होता. झूठ बोलकर कोई भी व्यक्ति खुश नहीं रह सकता. झूठे व्यक्ति को उसकी अंतरात्मा बार बार झकझोरती है कि तूने झूठ बोलकर अच्छा नहीं किया. उल्लेखनीय है कि मनुष्य फिर भी झूठ बोलता है क्योंकि इसके लिए शायद कुछ विशेष परिस्थितियाँ अधिक उत्तरदायी हैं. आइए, देखते हैं कि मनुष्य को किन-किन परिस्थियों में झूठ बोलने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
      हम फेसबुक पर हैं, तो अपनी बात यहीं से शुरू करते हैं. अक्सर लोग इस सामाजिक वेब साईट पर अपनी पोस्ट डालते रहते हैं जिसे आपके मित्र एवं पाठक पढकर अपनी प्रतिक्रया देते हैं. कुछ लोग केवल लाइक करके ही इतिश्री कर लेते हैं, जबकि अन्य लोग इसे पढकर अपनी स्वाभाविक एवं व्यावहारिक प्रतिक्रया देने में ज़रा भी संकोच नहीं करते. अच्छा मित्र वही है जो आपकी त्रुटियों को आपके संज्ञान में लाए. परन्तु देखा यह गया है कि किसी पोस्ट में त्रुटि बताने वाले मित्रों से बहुत से लोग शीघ्र किनारा कर लेते हैं. अगर त्रुटि न बताएं, तो कभी कभी आपके मित्रों को अपनी पोस्ट पर शर्मिंदगी उठाने की नौबत भी आ सकती है.
      अब आपके पास दो विकल्प हैं. पहला तो ये कि आप पोस्ट में त्रुटि होने की जानकारी अपने मित्र को दें ताकि उसे बाद में बुराई न मिले. दूसरा यह कि आप उस पोस्ट में कोई दोष न बताएं और इसे ऐसे ही रहने दें. पहले विकल्प में आपका मित्र आपसे तुरंत नाराज़ हो सकता है. दूसरे विकल्प में आप स्वयं को नाराज़ कर लेते हैं. जाहिर है आप स्वयं को तो मना सकते हैं परन्तु मित्र को मनाना कुछ कठिन अवश्य हो सकता है. अतः आप झूठी प्रशंसा करके मित्र को खुश कर देंगे हालांकि पोस्ट में प्रशंसा के लायक कुछ भी नहीं था.

      स्पष्टतः सच बोलने के लिए साहस की आवश्यकता पड़ती है जो सभी लोगों में सभी परिस्थितियों के अंतर्गत शायद नहीं हो सकता. हम घर में बीवी-बच्चों को क्षणिक आनंद देने के लिए भी झूठ बोल देते हैं. अगर कोई सामान घर के लिए नहीं खरीद पाएं तो हम इसे अगले दिन पर टाल देते हैं तथा अगले दिन फिर झूठ बोलते हैं कि ये तो बाज़ार में उपलब्ध नहीं था. हम ऐसा इस लिए करते हैं कि हमें डर लगता है कि सच बोलने से घर में क्लेश छिड़ सकता है. यह सच है कि सभी लोग सच बोलकर ही खुश रह सकते हैं, परन्तु इसके लिए साहस न जुटा पाने के कारण लोग अक्सर झूठ बोलने को मजबूर होते हैं. अतः हमें साहसी बनने की आवश्यकता है ताकि सच का सामना कर सकें.

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