My expression in words and photography

बुधवार, 16 जनवरी 2013

गज़ल


आज फिर मेरा दिल उदास हुआ है

पान्ड़ुओं को कोई अज्ञातवास हुआ है.

बे-ईमानों के हो गए यहाँ पौ बारह

शरीफों को फिर कारावास हुआ है.

बोलते हैं सब धारा-प्रवाह में लेकिन

राजभाषा का फिर भी ह्रास हुआ है.

खेल सियासत का ज़रा देखो यारो

आम शख्स फिर यहाँ खास हुआ है.

मतलब का है बर्ताव सारी दुनिया में

बे-मतलब न कोई यहाँ दास हुआ है.

किया हमसे किनारा अपनों ने ‘सहर’

दोस्त इक दूर का मगर पास हुआ है.

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