ऐसी है हिन्दी
कहते हैं हिन्दी ऐसी है या वैसी है
कोई कहता है ना जाने कैसी है
भई हम तो बस इतना जानते हैं
ये वैसी है जैसी आप लिखते हैं
पढते हैं और खूब समझते भी हैं.
ये है माँ जैसी करुण सीधी-सादी
सरल सहज और नाज़ुक सी
न तो कठोर जो कहीं चोट करे
और न ही इतनी नर्म है कि
कोई महसूस ही न कर पाये.
हिन्दी तो है एक ठंडी बयार
जो शीतलता दे सब को और
आत्मसात कर ले दूसरों के
कड़वेपन को भी अपने अन्दर
और लगे जैसे पानी में पानी.
बोलियों के समुन्दर में जैसे
एक मोती सी चमकती बूँद
सर्द मौसम में नर्म सी धूप
जो सब को गर्माहट तो दे
मगर बदन को न जलाये.
एक प्रेम की बोली जो आप
हम और शायद सब बोलते हैं
एक अहसास माँ की जुबाँ का
जो सब को है मगर फिर भी
हिन्दी बोलने से हिचकिचाते हैं.
ये हमारी राजभाषा भी है
मुझे बहुत अच्छी लगती है
और शायद आप सबको भी
फिर क्यों नहीं अपनाते अपनी
मातृभाषा यानि हिन्दी को ?
sahi hai.
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत में स्वागत है.......
जवाब देंहटाएंबहुत सही लिखा है धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंये है माँ जैसी करुण सीधी-सादी
जवाब देंहटाएंसरल सहज और नाज़ुक सी
न तो कठोर जो कहीं चोट करे
और न ही इतनी नर्म है कि
कोई महसूस ही न कर पाये.
Bahut khoob! Tahe dil se swagat hai!
बहुत अच्छा लिखा आपने... मुझे भी कविताये लिखने का शोंक है, मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंsparkindians.blogspot.com
दीपावली का त्यौहार आप, सभी मित्र जनो को परिवार को एवम् मित्रो को सुख,खुशी,सफलता एवम स्वस्थता का योग प्रदान करे -
जवाब देंहटाएंइसी शुभकामनओ के साथ हार्दिक बधाई।
इस सुंदर से नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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