My expression in words and photography

सोमवार, 1 नवंबर 2010

ऐसी है हिन्दी

ऐसी है हिन्दी
कहते हैं हिन्दी ऐसी है या वैसी है
कोई कहता है ना जाने कैसी है
भई हम तो बस इतना जानते हैं
ये वैसी है जैसी आप लिखते हैं
पढते हैं और खूब समझते भी हैं.

ये है माँ जैसी करुण सीधी-सादी
सरल सहज और नाज़ुक सी
न तो कठोर जो कहीं चोट करे
और न ही इतनी नर्म है कि
कोई महसूस ही न कर पाये.

हिन्दी तो है एक ठंडी बयार
जो शीतलता दे सब को और
आत्मसात कर ले दूसरों के
कड़वेपन को भी अपने अन्दर
और लगे जैसे पानी में पानी.

बोलियों के समुन्दर में जैसे
एक मोती सी चमकती बूँद
सर्द मौसम में नर्म सी धूप
जो सब को गर्माहट तो दे
मगर बदन को न जलाये.

एक प्रेम की बोली जो आप
हम और शायद सब बोलते हैं
एक अहसास माँ की जुबाँ का
जो सब को है मगर फिर भी
हिन्दी बोलने से हिचकिचाते हैं.

ये हमारी राजभाषा भी है
मुझे बहुत अच्छी लगती है
और शायद आप सबको भी
फिर क्यों नहीं अपनाते अपनी
मातृभाषा यानि हिन्दी को ?

7 टिप्‍पणियां:

  1. ये है माँ जैसी करुण सीधी-सादी
    सरल सहज और नाज़ुक सी
    न तो कठोर जो कहीं चोट करे
    और न ही इतनी नर्म है कि
    कोई महसूस ही न कर पाये.
    Bahut khoob! Tahe dil se swagat hai!

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  2. बहुत अच्छा लिखा आपने... मुझे भी कविताये लिखने का शोंक है, मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
    sparkindians.blogspot.com

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  3. दीपावली का त्यौहार आप, सभी मित्र जनो को परिवार को एवम् मित्रो को सुख,खुशी,सफलता एवम स्वस्थता का योग प्रदान करे -
    इसी शुभकामनओ के साथ हार्दिक बधाई।

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  4. इस सुंदर से नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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