My expression in words and photography

शुक्रवार, 5 नवंबर 2010

बच्चों के लिए

नन्हे मुन्ने बच्चे
नन्हे मुन्ने बच्चे हमारे
लगते सब को प्यारे प्यारे
जैसे सूरज चांद सितारे
झिल-मिल चमकें आसमान में
वैसे ही इनका बचपन महके
हर घर आँगन संसार में
बच्चों में रहते भगवान
जिसको मानें सब इंसान
झूठ कभी इन्हें छू नहीं सकता
बचपन इनका भोला लगता
आओ सीखें इनसे सीख
मिल कर रहें तो सब हो ठीक
एक दूजे से करें न नफरत
उठ कर रोज करें सब कसरत
होंगे स्वस्थ तो खुशियां होंगी
चारों ओर दिवाली होगी !

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