My expression in words and photography

मंगलवार, 2 नवंबर 2010

ऐसे होती है कविता

कविता
सुबह सवेरे आसमां पर
जब लाली होती है
करते हैं खग कलरव
तो फिर कविता होती है.

पिघल कर बर्फ पहाड़ों से
जब झरना बनती है
बहता है पानी झर झर कर
तो कविता होती है.

छाए घटा घनघोर
तो फिर बरसात होती है
नाचे ऐसे में मोर
तो वह कविता होती है.

खिलें बागों में फूल
तो बहार आती है
गुनगुनाएं भंवरे कलियों पर
तो कविता होती है.

परोपकार में तो
दूसरों की भलाई होती है
हो जन जन की सेवा
तो फिर कविता होती है.

कहने को मेरे देश में
फसल भरपूर होती हैं
जब खाएं सब भरपेट
तो फिर कविता होती है.

मुस्कुराएँ सुखों में तो
न कोई बात होती है
गम में भी न घबराएं
तो फिर कविता होती है.

देखें दर्पण में तो
अपनी तस्वीर दिखती है
“दिल में क्या है” जो दिखाए
तो वह कविता होती है.

ईमानदारी यूं तो
सर्वोत्तम नीति होती है
हों बेईमान दण्डित
तो फिर कविता होती है.

2 टिप्‍पणियां:

  1. कहने को मेरे देश में
    फसल भरपूर होती हैं
    जब खाएं सब भरपेट
    तो फिर कविता होती है.

    sundar abhivyakti.shubhkamnayen.

    जवाब देंहटाएं
  2. मुस्कुराएँ सुखों में तो
    न कोई बात होती है
    गम में भी न घबराएं
    तो फिर कविता होती है.

    सुंदर अति सुन्दर .

    आपने दीपावली से सम्बंधित नई पोस्ट मेरे ब्लॉग पर नहीं देखी.समय हो तो कृपया देखें.
    कुँवर कुसुमेश
    ब्लॉग:kunwarkusumesh.blogspot.com

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