पति और पत्नी
पति हमेशा पड़ता था
अपनी पत्नी पर भारी
बोला मेरी तनख्वाह से
फिर भी कम है
तुम्हारी मेहनत सारी
पत्नी बोली
भूल गए क्या
सुबह-सवेरे उठकर के जो
चाय मैं तुम्हें पिलाती
ऑफिस जाते समय टिफिन
जो अपने साथ ले जाते
लौट के तुम
जब वापिस आते
घर आँगन को सुन्दर पाते
पति हो चाहे कितना भारी
फिर भी रहता है आभारी
पति में छोटी इ की मात्रा
पत्नी में बड़ी ई है आती
फिर भी दोनों में कौन बड़ा है
समझ तुम्हें यह क्यों न आती !
थैली पोलीथीन की
अरे भाई
तूने यह
पोलीथीन की थैली
यहाँ क्यों गिराई
पर्यावरण को
शुद्ध रखने की बात
मेरे मन को भाई
पोलीथीन बहिष्कार जानकर
यह थैली
मैंने यहाँ गिराई.
अच्छी कवितायें! दूसरी कविता में आपका प्रकृति प्रेम झलकता है... सुन्दर
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