My expression in words and photography

मंगलवार, 2 नवंबर 2010

सुख चैन कहाँ है?

सुख चैन कहाँ है
अहिंसा के नगर में
शान्ति की डगर पे
प्रेम गंगा बहे जहां
सुख चैन वहीँ है.

भाई चारा हो जहां
हर कोई प्यारा हो वहाँ
बजे चैन की बंशी जहां
सुख चैन वहीँ है.

अभाव से मुक्त हो
अभय से युक्त हो
स्वतंत्र समाज है जहां
सुख चैन वहीँ है.

स्वार्थ से दूर हो
परमार्थ को समर्पित हो
मिले पाप से मुक्ति जहां
सुख चैन वहीँ है.

न छज्जू के चौबारे
न बलख न बुखारे
हमारे सब हो जहां
सुख चैन वहीँ है.

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