My expression in words and photography

सोमवार, 18 अक्तूबर 2010

बात छोटी सी है-

हमारा पर्यावरण

आजकल हम सब अपने पर्यावरण की तो बहुत फिक्र करते हैं परन्तु इसे साफ़ सुथरा बनाने के लिए कुछ भी नहीं करते. यदि हम कुछ छोटी छोटी बातों पर ध्यान दें तो न केवल पर्यावरण को शुद्ध रख सकेंगे अपितु अपने आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अच्छे वातावरण का सृजन कर पाएंगे.
अपने घर और दफ्तर में अनावश्यक पानी की बर्बादी न होने दें. यदि आवश्यकता न हो तो पानी की टूंटी बंद कर दें. जहां तक संभव हो पानी की बचत करें. सब्जियों व फलों को धोने के बाद पानी को फेंकने की बजाये उसे पौधों की सिंचाई में उपयोग करें. अपने फ्रिज के दरवाजे को आवश्यकता से अधिक देर तक खुला न रखें. ऐसा करने से बिजली की काफी बचत होती है. इसी प्रकार घर के सभी विद्युत उपकरण केवल आवश्यक होने पर ही चलायें.
पानी गर्म करने के लिए सोलर हीटरों का प्रयोग करें. इसी प्रकार सोलर कुकर द्वारा बनाया गया भोजन पौष्टिक एवं स्वादिष्ट होने के साथ साथ उर्जा की खपत कम करता है. बार बार चार्ज होने वाली बैटरियों का उपयोग करें और कागज, कांच, प्लास्टिक तथा अन्य व्यर्थ पदार्थों को पुनः चक्रण द्वारा उपयोग में लायें. वर्षा के पानी का संग्रहण करें ताकि इसे आवश्यकता पड़ने पर उपयोग में लाया जा सके. जब आप बाज़ार में जाएँ तो प्लास्टिक से बने थैलों का उपयोग न करें. सूत या जूट से बने थैले बाज़ार में लेकर जाएँ. यथा संभव पुनः चक्रित होने वाले ऐसे पदार्थों का चयन करें जो स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न डालें. केवल ऐसे घरेलू उपकरण ही खरीदें जो उर्जा की खपत में बचत कर सकें.
रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करने की बजाय प्राकृतिक उत्पादों को ही उपयोग में लायें. ऐसे पौधे उगायें जो कीटों को दूर भगाते हैं. नीम व लहसुन के तेल को मिला कर रोग-ग्रस्त पेड़ों, पोधों एवं झाडियों पर छिडकें. इससे जीवाणु व फफूंद नष्ट हो जाते हैं. मिटटी उपजाऊ बनाने के लिए कम्पोस्ट खाद को उपयोग में लाया जा सकता है. घर से निकलने वाले कचरे जैसे सब्जियों-फलों के छिलके और वाटिका में गिरे पेड़ों के सड़े-गले पत्तों से कम्पोस्ट खाद बनाई जा सकती है. रासायनिक खाद प्रयोग करने से ग्रीन हाऊस गैसों जैसे नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है. ग्रीन हाऊस गैसों से वायु प्रदूषण होता है तथा वैश्विक ताप वृद्धि का खतरा बढ़ता है. अधिक से अधिक पेड़ लगाएं ताकि पर्यावरण स्वच्छ रहे. बागवानी के काम में अनावश्यक विद्युत उपकरण उपयोग न करें. प्राकृतिक अभ्यारण्यों एवं पार्कों में सैर-सपाटे के लिए जाएँ ताकि प्रकृति व पर्यावरण के प्रति प्रेम और सौहार्द बना रहे. पार्कों में वन्य जीवों के साथ छेड़छाड़ न करें. इन्हें दूर से ही निहारें तथा इनके निकट स्वचालित वाहन आदि लेकर न जाएँ.
जहां तक संभव हो सार्वजनिक परिवहन सुविधा प्रयोग करें ताकि वाहनों से निकलने वाले धुएँ को कम किया जा सके. ऐसे वाहन उपयोग में लायें जो कम से कम मात्रा में ग्रीन हाऊस गैसों का उत्सर्जन करें. निरीह पशुओं की खाल व अंगों से बने किसी उत्पाद को उपयोग न लायें. केवल ऐसे होटलों में ठहरें जो पर्यावरण के प्रति संवेदनशील हो तथा ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों पर अधिक निर्भर हों.

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