ईद
रोज होती है यहाँ
शब से सहर
मगर तुम कहीं
नहीं आते नज़र.
जिस दिन भी
तुम्हारी दीद होगी
अपनी तो उसी दिन
ईद होगी.
चांद देखकर
होगी पूरी मुराद
मेरी ओर से
ईद की मुबारकबाद !
खुदा करे आपकी
हर रोज ईद हो
मुमकिन है मुझे भी
अब तुम्हारी दीद हो !
एक चांद मेरे सामने
और एक आसमां में होगा
कारवाँ खुशियों का फिर
हमारे दरमियां होगा.
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