My expression in words and photography

शुक्रवार, 14 नवंबर 2014

बेटी बड़ी हो गई है!

देखो अब बेटी बड़ी हो गई है
अपने पैरों पर खड़ी हो गई है!

समझते थे जिसको सब नादान
आज हो गई है वह सबसे महान
माला की मजबूत कड़ी हो गई है.
देखो अब बेटी बड़ी हो गई है
अपने पैरों पर खड़ी हो गई है!

उसके कारण घर में बहार है
जैसे चलती कोई ठंडी बयार है
सावन की शीतल झड़ी हो गई है.
देखो अब बेटी बड़ी हो गई है
अपने पैरों पर खड़ी हो गई है!

घर में सब पर उस का रौब है
पढ़-लिख कर पाया इक ‘जॉब’ है
सबको पढाने वह खड़ी हो गई है.
देखो अब बेटी बड़ी हो गई है
अपने पैरों पर खड़ी हो गई है!

बेटी ने सभी को जगाया है
हमारे घर को महकाया है
ज़िंदगी की अनमोल घडी हो गई है.
देखो अब बेटी बड़ी हो गई है

अपने पैरों पर खड़ी हो गई है! –अश्विनी रॉय ‘सहर’

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