My expression in words and photography

बुधवार, 28 मई 2014

मानव संसाधन मंत्री के स्नातक न होने पर सवाल


कांग्रेस के एक छुटभइया नेता ने एक अटपटा बयान जारी करके एन. डी. ए. के शिक्षा मंत्री की योग्यता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि वे स्नातक भी नहीं हैं. यह अत्यंत खेद का विषय है कि देश का शीर्ष राजनैतिक दल अपनी करारी हार के बाद शालीनता की सारी सीमाएं लांघ चुका है और उसके पास कहने को शायद कुछ बचा ही नहीं है. विचारणीय है कि अगर आप अपनी टांग से कपड़ा ऊपर उठाते हैं तो स्वयं ही नंगे हो जाते हो. इन्हें यह सवाल उठाने से पहले यह बताना चाहिए था कि प्रधानमंत्री बनने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए? क्या स्नातक व्यक्ति ही शिक्षा मंत्री या प्रधानमंत्री हो सकते हैं? अगर हाँ, तो स्नातक मंत्रियों के होते हुए हमारा शिक्षा का स्तर जस का तस क्यों है?
भूतपूर्व प्रधानमंत्री तो बहुत बड़े आर्थिक विशेषज्ञ थे फिर भारत अपनी विकास दर में कैसे पिछड़ गया? इस शीर्ष दल को बताना होगा कि उनकी तथाकथित राजनीति “नीच राजनीति”  से कैसे भिन्न है जिसका उल्लेख इन्होने चुनाव प्रचार के दौरान किया था? अगर जनता को स्नातक मंत्रियों की आवश्यकता थी तो जनता ने उन्हें क्यों नकार दिया? ज़ाहिर है कांग्रेस के पास इस विषय में अधिक कहने के लिए कुछ भी नहीं है. यह तो खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचने वाली बात ही लगती है. देश के सबसे पुराना दल होने का दावा ठोकने वाली पार्टी को अपना इतिहास पढ़ने की आवश्यकता है. उन्हें देखना चाहिए कि आज तक जिन लोगों को उनहोंने मंत्री, प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बनाया है, उनकी क्या-क्या योग्यता थी? शायद अपने गिरेबान में झाँकने पर ही इन्हें कोई बात समझ में आ पाएगी.

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