My expression in words and photography

बुधवार, 28 मई 2014

भिखारी - एक लघु कथा

लेखक- अश्विनी कुमार रॉय
गाड़ी अभी स्टेशन से छूटने ही वाली थी. जब सब लोग इसमें अपना सामान चढ़ा रहे थे, तो एक नौजवान लड़का अपने बाएँ हाथ से भीख माँगता हुआ वहाँ आया. सभी यात्री उस जवान लड़के का एक हाथ देख कर स्तब्ध थे. एक ने कहा कि ईश्वर भी न जाने कैसे-कैसे इम्तिहान लेता है! लड़का अभी जवान है और इसने अपनी दाईं भुजा गंवा दी है. न जाने यह अपनी जिंदगी की गुजर-बसर कैसे कर पाएगा?

जिस यात्री से जो भी बन पड़ा, उसे दिया. देखते ही देखते उसके पास बहुत से पांच और दस रूपए के नोट इकट्ठे हो गए. इतने में गाड़ी ने सीटी बजाई और वह लड़का नीचे कूद गया. गाड़ी से उतरते ही उसने अपनी कमीज़ से दाईं भुजा बाहर निकाली और रूपए गिनने लगा. उस लड़के पर दया करके भीख देने वाले सभी यात्री खिडकी से बाहर झांकते हुए स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे थे.

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