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बुधवार, 3 दिसंबर 2014

एल.पी.जी.सब्सिडी पर रोक

आजकल सरकार अमीरों को मिलने वाली एल.पी.जी. सिलेंडर पर सब्सिडी रोकने पर विचार कर रही है. समझ नहीं आता कि इस तरह से सरकार कितने रुपयों में बचत कर लेगी? देश में अमीरों की संख्या कितनी है? अगर मुट्ठी-भर अमीरों ने साल भर में एक गैस सिलेंडर अतिरिक्त उपयोग कर भी लिया तो कौन-सा पहाड़ टूट जाएगा? जो अमीर व्यक्ति देश को लाखों रूपए कर के रूप में दे रहे हैं, उन्हें एल.पी.जी. की मामूली सब्सिडी अगर चली भी गई तो क्या हर्ज है? सरकार अपने संसाधनों की चोरी पर अंकुश क्यों नहीं लगाती?
जो अपना आयकर ईमानदारी से देता है उस पर सभी प्रतिबन्ध लागू हो सकते हैं. जो व्यक्ति कोई कर नहीं देते वे फर्जी ढंग से सभी प्रकार के फायदे सरकार से लेते रहते हैं. अगर देखा जाए तो हमारे जनप्रतिनिधि ही सर्वाधिक सिलेंडरों की खपत कर रहे हैं. क्या सरकार ने उन पर कोई अंकुश लगाने की बात सोची है? ये लोग बिजली और टेलीफोन का भी सबसे अधिक उपयोग करते हैं तथा अपने बिल भी समय पर नहीं चुकाते. सरकार इन लोगों पर तो कोई कार्यवाही नहीं करती!

इस तरह के नकारात्मक क़दमों से देश में भ्रष्टाचार को ही बढ़ावा मिलता है. यदि किसी अधिक वेतन पाने वाले कर्मचारी से सरकार सब्सिडी हटाएगी तो वह एल.पी.जी. का कनेक्शन कम आय वाले परिवार के किसी और व्यक्ति के नाम से भी तो ले सकता है. अगर ऐसा हुआ तो फिर सरकार क्या कर लेगी? घरेलू एल.पी.जी. सिलेंडरों के व्यावसायिक उपयोग को तो वह रोक नहीं पाई अब इस तरह की कवायद करके भी क्या हासिल हो जाएगा? अगर सब्सिडी को नियंत्रित करना ही है तो घरेलू गैस के उपयोग को वाहनों में प्रतिबंधित करना चाहिए. 

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