My expression in words and photography

मंगलवार, 30 अप्रैल 2013

प्रेरक प्रसंग

मैं आपके साथ एक प्रेरक प्रसंग सांझा करना चाहता हूँ, जो इस प्रकार है:-
एक महात्मा ने कुछ लोगों को आपस में चिल्लाते हुए देख कर अपने शिष्यों से पूछा कि ये लोग एक दूसरे के साथ ऊंची आवाज़ में बात क्यों कर रहे हैं. इन्हें इतना समीप बैठने के बावजूद ऊंचे स्वर में बात करने की क्या आवश्यकता है? एक ने कहा कि ये क्रोध के कारण ऐसा कर रहे हैं. परन्तु यह बात धीरे से भी तो कही जा सकती है”- साधु ने कहा. शिष्यों ने कुछ अलग तरह के उत्तर भी दिए जिनसे साधु संतुष्ट नहीं हुआ और बोला मैं तुम सबको आज इसका कारण बताता हूँ. जब दो व्यक्ति एक दूसरे पर क्रोधित होते हैं तो उनके दिलों के बीच की दूरी बढ़ जाती है. इसलिए उन्हें अपनी बात कहने के लिए जोर से चिल्लाना पड़ता है. गुस्सा जितना अधिक होगा यह दूरी भी उतनी ही अधिक होगी तथा इस दूरी को तय करने के लिए आवाज़ ऊंची होती जाएगी!
जब दो व्यक्तियों में प्यार होता है तो वे आपस में धीरे धीरे बात करते हैं क्योंकि उनके दिलों के बीच की दूरी बहुत कम होती है. प्रेम जितना अधिक होगा दूरी उतनी ही कम होती जाएगी. प्रेम अत्यधिक होने पर उनकी आवाज़ सुनाई नहीं देगी क्योंकि वे एक दूसरे की आँखों में देख कर समझ जाते हैं कि उन्हें क्या कहना या सुनना है. इसलिए आप जब भी एक दूसरे से बहस करें तो दिलों के बीच फासले बढ़ने दें अन्यथा किसी दिन दिलों के बीच की दूरी इतनी बढ़ सकती है कि वहाँ से लौटना भी कठिन हो सकता है.

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