My expression in words and photography

गुरुवार, 4 अप्रैल 2013

दोस्ती



मत होना परेशां कभी, इस ज़माने में

हौसले से यहाँ सब काम सुधर जाता है.

चाहे कितना भी भुला दो तुम उसको

दोस्त को अक्सर दोस्त याद आता है.

खो गए वो लड़कपन के सुनहरे लम्हे

खेलते हुए बच्चों से ख्याल आता है.

बदल गया है ये ज़माना अब कितना

बीते हुए वक्त से हमें याद आता है.

याद तेरी यूं कुछ खास नहीं हैसहर

तेरा जलवा लेकिन असर दिखाता है.

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