My expression in words and photography

शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

परोपकार


जब मैंने
मखमली घास के
तिनकों से पूछा
कैसा लगता है तुम्हें
जब लोग
तुमको रौंद कर
दूर चले जाते हैं...
कष्ट तो होता होगा न
तो आवाज आई
बिलकुल नहीं
मेरे ऊपर पड़ने वाले
हर पाँव को
मैं सुकून देता हूँ
जिससे इतनी
खुशी होती है कि
मैं अपना दर्द
भूल जाता हूँ

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