My expression in words and photography

शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

कल आज और कल

लोग समझते हैं कि
बुजुर्गों की सोच अलग है
उनकी अपनी सोच से
दोनों में फासला है
एक पीढ़ी का
शायद इसीलिए
अपने बुजुर्गों का
वे आदर नहीं करते.

न जाने वही बुजुर्ग
मुझे इतने अच्छे
क्यूं लगते हैं?
इनकी किसी भी बात पर
गुस्सा नहीं आता.
अनायास ही मैं कल
एक बुजुर्ग से टकरा गया.
हालांकि गलती उनकी थी
फिर भी कुछ न कह पाया
बस मुस्कुरा कर रह गया.

शाम को देखा पार्क में फिर
दो बुजुर्गों को बतियाते हुए
सुना रहे थे शायद
अपनी कथा-व्यथा
एक दूसरे को.
हल्की सी मुस्कान दौड गई
मेरे चेहरे पर
जब मैंने बड़ी हसरत से
देखा एक टक
उन दोनों की ओर क्योंकि
चलता नहीं किसी का
यहाँ वृद्धावस्था पर जोर.

सुबह सुबह देखा मैंने
फिर एक बुजुर्ग को
छोटे से बच्चे के साथ
घास पर टहलते हुए.
मन ही मन
खुश हो रहा था मैं
क्योंकि वर्तमान ने
देख लिया था आज
अपना बीता हुआ कल
और आने वाला कल !

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