My expression in words and photography

मंगलवार, 18 जनवरी 2011

बुरा न मानो ...सब सच है शायद

ये सच है

रोज़गार ख़बरों के तो
सब तलबगार होते हैं
चंद सिफारिशी ही मगर
बा-रोजगार होते हैं.

राहे वफ़ा में यूं तो
आशिक ही शहीद होते हैं
मगर इसके भी कहीं
कोई चश्मदीद होते हैं.

मर गए हैं कई लोग
यहाँ पर महामारी से
एक अदद डाक्टर से
कहीं इलाज होते हैं.

बच्चे इम्तिहाँ में यूं
अक्सर नकल करते हैं
जैसे वो अपनी ही
अक्ल की बचत करते हैं.

हुआ एक खून और कट गई
फिर से जेब ख़बरों में
भलाई के किस्से भी कहीं
कोई खबर बनते हैं.

सुना है सिर्फ सच्चाई की
यहाँ पर जीत होती है
मगर लाठी है जिसके पास
उसकी ही भैंस होती है.

बेकार है ये शोर इस
कोमनवेल्थ के लुटने का
है ये सांझी दौलत जो
सभी के हाथ आनी है.

हुआ क्या जो सड़ गया
ज़रा सा अन्न भंडारों में
सुना है आटा गीला तो
सिर्फ कंगाली में होता है.

न देखा न सुना हमने
गधों के सींग होते हैं
भला ऐसी ख़बरों के कहीं
कोई चिह्न होते हैं.

नहीं होता कोई बेअंत
सिर्फ एक नाम रखने से
वैसे ही अमर को भी
एक दिन मरना ही होता है.

2 टिप्‍पणियां: