My expression in words and photography

बुधवार, 5 जनवरी 2011

नव वर्ष आगमन पर सर्दी

सर्दी में नया साल

नए साल ने दरवाजे पर दस्तक कुछ ऐसे दी है
सब लोग हैं परेशाँ कि हर तरफ भीषण सर्दी है.

मौसमे सर्दी में तो लुभाते हैं अखरोट और बादाम
मगर महँगाई से है त्रस्त यहाँ पर हर खासो-आम.

यूँ तो ज़मीं पर गर्मी बढ़ने का खतरा मंडराया है
मगर इस ठण्ड ने तो सारी दुनिया को जमाया है.

गर्मियों में तो हो जाता है हर हाल में गुज़ारा
लेकिन नहीं है कोई ठण्ड में ग़रीबों का सहारा.

गए साल में तो रह गईं बहुत सी उम्मीदें अधूरी
मालूम नहीं इस साल में वो सब कैसे होंगी पूरी.

न रहे कोई कमी हर शख्स की मुरादें पूरी करना
ऐ खुदा अपनी रहमत से सबकी झोलियाँ भरना.

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