My expression in words and photography

गुरुवार, 27 जून 2013

कितना अच्छा था !

कितना अच्छा था पापा पापा कहना
लेकिन बड़ा मुश्किल है पापा कहाना.

अपना था रोज का वही गोरख-धंधा
मगर अच्छा लगता था बाप का कंधा
बहुत मुश्किल था तब कोई डांट सहना.
कितना अच्छा था पापा पापा कहना
लेकिन बड़ा मुश्किल है पापा कहाना.

वो टी.वी. में कोई विज्ञापन का देखना
पापा से कहना “मेरे वास्ते भी ये लाना”
और ज़रा ज़रा सी बात पे फिर रूठना.
कितना अच्छा था पापा पापा कहना
लेकिन बड़ा मुश्किल है पापा कहाना.

अक्सर पापा से डांट खा कर रोना
फिर माँ की गोद में जाकर सोना
बस बे-फिकर, हर दम मस्ती करना.
कितना अच्छा था पापा पापा कहना
लेकिन बड़ा मुश्किल है पापा कहाना.

अब शुरू हो गया है पापा कहाना
ढूँढता रहता हूँ हर दम कोई बहाना
कल वो बहला दिया आज क्या कहना.
कितना अच्छा था पापा पापा कहना

लेकिन बड़ा मुश्किल है पापा कहाना.

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