तेज़ी से बढ़ने लगी जालिम
महँगाई आज
घर कैसे बन पाएगा, महँगा
हो गया व्याज.
महँगाई के दंश से हम कैसे
बच पाएंगे
हर घर अब परेशान है
पीड़ित हुआ समाज.
आने-जाने का सफर भी महँगा
हुआ तमाम
कैसे कोई कर पाएगा बाहर
जाकर काज.
बीवी आज गरीब की करती
चीख पुकार
कैसे चूल्हा जलेगा और कैसे
बचेगी लाज.
कैसे बन पाएगी ‘सहर’ सब्जी अपने घर
कैसे रोटी खाएंगे जब महँगा
हो गया प्याज.
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