आज फिर मेरा दिल उदास हुआ है
पान्ड़ुओं को कोई अज्ञातवास हुआ है.
बे-ईमानों के हो गए यहाँ पौ बारह
शरीफों को फिर कारावास हुआ है.
बोलते हैं सब धारा-प्रवाह में लेकिन
राजभाषा का फिर भी ह्रास हुआ है.
खेल सियासत का ज़रा देखो यारो
आम शख्स फिर यहाँ खास हुआ है.
मतलब का है बर्ताव सारी दुनिया में
बे-मतलब न कोई यहाँ दास हुआ है.
किया हमसे किनारा अपनों ने ‘सहर’
दोस्त इक दूर का मगर पास हुआ है.
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