कुछ समय पहले की बात है, दिल्ली में चुनाव प्रचार चल रहा था. सभी दल अपनी-अपनी
चुनावी संभावनाओं के प्रति चिंतित दिखाई दे रहे थे. भगवान को सभी पार्टियों
पर दया आ गई. उसने बारी-बारी सभी दलों के
नेताओं से मिलने का फैसला किया. सबसे पहले वह कांग्रेस नेता से मिला और पूछा बोलो, तुम क्या चाहते हो? कांग्रेसी
ने कहा कि हम तो बस इतना चाहते हैं कि किसी तरह इस बार हमारी लाज रख लों क्योंकि
हमारे पास गंवाने के लिए तो कुछ भी नहीं है, लेकिन नतीजे ऐसे दो ताकि
हम खुश हो सकें! बी.जे.पी. नेताओं ने कहा कि हे ईश्वर! हमारी इज्जत तो बाहरी
मुख्यमंत्री प्रत्याशी के कारण अब जा ही चुकी है, कम से
कम इतना कर दो कि आने वाले दिनों में पार्टी द्वारा हम से पूछा जाए कि दिल्ली में
अब क्या करना चाहिए! अब आम आदमी पार्टी की बारी थी. उनहोंने ईश्वर से अपनी सरकार
बनाने की दुआ मांगी. भगवान सबकी बात सुन कर चल दिए और सभी को दस फरवरी का इंतज़ार
करने को कहा. लेकिन भगवान जी ने सोचा कि कुछ राष्ट्रीय दलों के नेताओं से भी उनकी
इच्छा जान लेते हैं. सभी ने एक मत हो कर बी.जे.पी. के लिए हार मांगी. अपने घर जाते
समय ईश्वर बहुत खुश थे क्योंकि वह आज पहली बार सब लोगों की माँग पूरी करने में
समरथ अनुभव कर रहे थे. उन्होंने तुरंत कहा, तथास्तु, और देखते ही देखते सभी राजनैतिक दलों की इच्छा पूर्ण
हो गई! - अश्विनी रॉय 'सहर'
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