अक्षम्य अपराध है इनका
कल इन्होंने देखा
एक मासूम का
खून होते हुए
देखा एक अबला
नारी की अस्मत लुटते हुए
और देखा बार बार
बाल-शोषण होते हुए
फिर भी खामोश रहीं ये
देखा है इन्होंने न जाने
कितने जुल्म होते हुए
लेकिन सब अनदेखा किया
डाली है इन्होंने
बुरी नज़र
न जाने कितनों पर
और कितनी बार
घोर पापी हैं ये
इन्हें कठोर दंड मिले
लेकिन कौन देगा
इनको दंड
जब एक ही हों
मुंसिफ और मुजरिम
शायद आपको भी
यकीं न आये
क्योंकि यह जुर्म
अपनी आँखों ने किया है
क्या अंतर्मन गवाही देगा
खुद को दोषी मान कर
अगर नहीं तो
फिर कैसे सजा दोगे
अपनी ही आँखों को ?
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