वो सोने की तरह तोल रहा है
सोना नहीं प्याज तोल रहा है.
डॉलर के सामने सिसक रहा है
वो कहते हैं रूपया बोल रहा है.
गिरा है ये ओंधे मुंह फिर भी
रूपए पर हर दिल डोल रहा है.
लुटती है सरे-बाजार आजकल
अस्मत का नहीं मोल रहा है.
काला धन खामोश है लेकिन
देश के ये राज़ खोल रहा है.