tag:blogger.com,1999:blog-3567043388719871673.post1392805899270814415..comments2023-03-18T17:49:05.984+05:30Comments on अपनी बोली Apni Boli: नई सुबहअश्विनी कुमार रॉय Ashwani Kumar Royhttp://www.blogger.com/profile/01550476515930953270noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3567043388719871673.post-83367188665325208252010-11-28T15:42:10.859+05:302010-11-28T15:42:10.859+05:30रॉय साहेब और जौहर साहेब, आपको कविता पसंद आई इसकी म...रॉय साहेब और जौहर साहेब, आपको कविता पसंद आई इसकी मुझे बहुत खुशी हुई क्योंकि आप जैसे संवेदनशील कवि एवं लेखक ह्रदय से हमारे साथ हैं और सबके लिए फिक्रमंद रहते हैं. यह कविता एक वास्तविकता पर आधारित है. इस लड़के को मैंने रेलगाड़ी में गाते व बजाते हुए देख कर ही यह कविता लिखी थी. आपके सुझाव के अनुसार लेखन में शुद्धि कर दी गई है. धन्यवाद.अश्विनी कुमार रॉय Ashwani Kumar Royhttps://www.blogger.com/profile/01550476515930953270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3567043388719871673.post-69797315717691509452010-11-28T14:50:59.415+05:302010-11-28T14:50:59.415+05:30आज के इस स्वार्थांध दौर में जब कहीं किसी के उरोद्...आज के इस स्वार्थांध दौर में जब कहीं किसी के उरोद्गम से संवेदना के स्वरों की गंगा निर्झरित होती देखता हूँ तो मुझे अनिर्वचनीय प्रसन्नता होती है...कमोवेश यही प्रसन्नता आपके ब्लॉग से लेकर वापस जा रहा हूँ...पुनः आऊँगा ही!<br /><br />हाँ...जाने से पहले एक विनम्र सुझाव! यह कि- "...बजा रहा था <br />सारंगी पर वह धुनें जो थी जमाने के लिए..." में एक शब्द आया है ‘वह’। इसकी जगह ‘वे’ कर दें। करण कि ‘धुनें’ शब्द बहुवचन है जबकि ‘वह’ एकवचन है।जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3567043388719871673.post-70908023985726291042010-11-28T07:56:56.618+05:302010-11-28T07:56:56.618+05:30सामाजिक संवेदना से भरी कविता. बहुत सुन्दर.. आँखें ...सामाजिक संवेदना से भरी कविता. बहुत सुन्दर.. आँखें नम हो गई..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.com